भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ज्ञानवापी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद से पहले वहां मंदिर की संरचना थी। वहीं इस रिपोर्ट को लेकर मुस्लिम पक्ष की भी पहली प्रतिक्रिया सामने आई है।
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना है कि ये दस्तावेज कोई कोर्ट का फैसला नहीं हैं। वहीं ज्ञानवापी पैनल का कहना है कि वह एएसआई सर्वे की रिपोर्ट का अध्ययन कर रहा है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ज्ञानवापी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद से पहले वहां मंदिर की संरचना थी।
वहीं इस रिपोर्ट को लेकर मुस्लिम पक्ष की भी पहली प्रतिक्रिया सामने आई है।
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना है कि ये दस्तावेज कोई कोर्ट का फैसला नहीं हैं। वहीं ज्ञानवापी पैनल का कहना है कि वह एएसआई सर्वे की रिपोर्ट का अध्ययन कर रहा है।
इस रिपोर्ट में कहा यगया है कि एक कमरे में अरबी-फारसी शिलालेख पाए गए हैं जिनमें लिखा है कि औरंगजेब ने ही इस मस्जिद का निर्माण करवाया था।
मौजूदा वास्तुशिल्प के अवशेष, दीवारों की सजावट, कर्ण रथ, प्रतिरथ, बड़ा प्रवेश द्वार, और कलाकृतयों से पता चलता है कि यह एक हिंदू मंदिर हुआ करता था।
इसके अलावा तहखाने में मिट्टी में मूर्तियां दबी थीं। एक स्तंभ मिला है जिसको घंटियों से सजाया गया औऱ इसके चारों ओर दीपक रखने की जगह बनी हुई है।
एएसआई सर्वे की रिपोर्ट 839 पेज की है। अब हिंदू पक्ष का कहना है कि वजूखाने के सर्वे के लिए भी अर्जी कोर्ट में दी जाएगी। बता दें कि कोर्ट ने वजूखाने को सील करने का आदेश दिया था।
वहीं विष्णु शंकर ने बताया कि मस्जिद की दीवारों पर तेलुगु, देवनागरी, कन्नड़ और अन्य लिपियों में लिखा गया है। दीवारों और स्तंभों पर जनार्दन, रूद्र औऱ उमेश्वर लिखा हुआ है।
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