धमतरी
धमतरी में एक कथा आयोजन के दौरान उन्होंने कहा कि चाहे वह भजन-कीर्तन हो या अन्य कोई भी कार्य, हृदय से, विश्वास से उस कार्य को करेंगे, तो जीवन में सदा सुख होगा।कथाकार प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कपड़ों को रोज जिस तरह झटककर पहना जाता है, उसी तरह मन को भी अहंकार और अभिमान से झटकार दीजिए। जितना अहंकार व अभिमान भीतर रहेगा, परमात्मा उतने ही दूर होते जाएंगे।
लोग इस भ्रम में जीते हैं कि मंदिर में भगवान शंकर में कुछ नहीं चढ़ाएंगे तो वे रुष्ट हो जाएंगे, लेकिन आप भूल रहे हैं कि भगवान कभी रूष्ट नहीं होते हैं। भगवान शंकर को बेलपत्र और जल चढ़ाओ या नहीं, वे कभी भी रूष्ट नहीं होते हैं। मन से शिव का स्मरण करो। भजन व गुणगान कर रहे हो तो भगवान मिलेगा। भगवान शंकर के मंदिर में कभी भी संकोच से मत जाना। भगवान शंकर भोले हैं, जब चाहो, जब रिझाओ वे मिल जाएंगे।
पंडित मिश्रा ने लोगों को मद से दूर रहने की भी सीख दी। उन्होंने कहा कि मदिरा और पराई स्त्री केवल नाश करेगी। नशे करने वालों के पुत्र, पुत्री, पत्नी सहित स्वजन को सम्मान नहीं मिलता। पत्नी को मायके में भी सम्मान नहीं मिलता। मां को सम्मान नहीं मिलता। लोग कहते हैं कि नशेड़ी की मां, पुत्री, पत्नी, पुत्र जा रहे हैं। यह गलत धारणा है कि भोलेनाथ नशा करते हैं। उन्होंने कभी भी नशा नहीं किया। कहा जाता है कि वे भांग पीते हैं, लेकिन शिवपुराण समेत किसी भी शास्त्र में ऐसी कोई बात नहीं लिखी मिलती है। भगवान शंकर तो केवल भगवान राम व कृष्ण के नशे में डूबे थे।
MJ News Latest & Breaking News Updates In Hindi