कट्टर चीन विरोधी माने जाने वाले लाइ चिंग ने सोमवार को ताइवान के राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है।
लंबे समय से चीन की चुनौतियों का सामना कर रहे ताइवान की राजधानी ताइपे में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया था।
इस मौके पर 12 देशों का प्रतिनिधिमंडल मौजूद था। इसमें अमेरिका, जापान और यूरोप के कई देशों के अधिकारी शामिल थे।
लाइ को विलियम नाम से भी जाना जाता है। लाइ ने जोर दिया कि वह ताइवान की सुरक्षा के लिए अपने करीबी अमेरिका से रक्षा आयात बढ़ाएंगे।
आए दिन ताइवान की सीमा में अपने विमान भेजने वाले चीन से निपटने के लिए राष्ट्रपति चिंग ने अमेरिका से अडवांस विमान खरीदने की भी बात कही है।
उन्होंने कहा कि रक्षा उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा और देश में ही सबमरीन और एयरक्राफ्ट का निर्माण होगा। इसके अलावा अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और फिलीपीन्स जैसे देशों से सहयोग बढ़ाने की भी बात कही गई है।
64 साल के लाइ ने कहा कि वह पूर्व राष्ट्रपति की भी हितकारी योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे। बता दें कि ताइवान एशिया का पहला देश है जिसने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है।
त्साई के दूसरे कार्यकाल के दौरान चिंग उपराष्ट्रपति थे। 2017 में उन्होनें खुद को ताइवान की स्वतंत्रता का अग्रदूत बताया था।
हालांकि अब वह चाहते हैं कि चीन से बातचीत के जरिए हल निकाला जाए और ताइवान की यथास्थिति बरकरार रहे। बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और कहता है कि जरूरी होने पर वह अपनी सेना भी तैनात कर सकता है।
त्साई के कार्यकाल में ताइवान ने अमेरिका से करीबी बढ़ाई थी। कोरोना काल में राष्ट्रपति त्साई के कामों की काफी तारीफ की गई थी। चीन में कोरोना फैलने के बाद भी ताइवान में कोरोना बहुत असर नहीं दिखा पाया।
ताइवान ने अपने बॉर्डर पहले ही सील कर दिए थे। वहीं बहुत सारे लोग त्साई सरकार की यह कहकर आलोचना कर रहे थे कि सरकार ने टेस्टिंग पर निवेश नहीं किया।
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