ग्रामीण अंचलों में मत्स्य पालन से आजीविका एवं आत्मनिर्भरता के खुल रहे नए अवसर…..

ग्रामीण अंचलों में मत्स्य पालन से आजीविका एवं आत्मनिर्भरता के खुल रहे नए अवसर…..

रायपुर: ग्रामीण अंचलों में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से आजीविका के नए अवसर खुल रहे हैं, जिससे ग्रामीण परिवार आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसी योजना के तहत अम्बिकापुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कुल्हाड़ी के निवासी श्री मदन राम ने अपने खेत की 30 डिसमिल भूमि का सदुपयोग करते हुए बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण कराया है। यह तालाब पूर्णतः वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है, जिसमें जल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बायोफ्लॉक शीट, ऑक्सीजन मशीन, सबमर्सिबल पंप और जनरेटर जैसी आधुनिक सुविधाएँ लगाई गई हैं।

मछली पालन को एक व्यवसाय के रूप में शासन द्वारा ऋण पर सब्सिडी 

श्री मदन राम ने बताया कि बायोफ्लॉक तालाब निर्माण पर कुल 14 लाख रुपए की लागत आई, जिसमें से उन्हें 60 प्रतिशत अर्थात 8 लाख 40 हजार रुपए की सब्सिडी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से मछलियों का विकास तेज़ी से होता है और उत्पादन अधिक मिलता है। तालाब को पूरी तरह बायोफ्लॉक शीट से ढंक दिया गया है, जिससे जल की गुणवत्ता एवं तापमान नियंत्रित रहता है और मछलियों की वृद्धि में अनुकूल वातावरण मिलता है। उन्होंने बताया कि योजना की जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्होंने मत्स्य पालन विभाग से संपर्क किया, जहाँ से उन्हें सभी आवश्यक मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता मिली। पहले जहाँ खेती से सीमित आमदनी होती थी, वहीं अब मछली पालन से वे हर वर्ष लगभग दो लाख रुपए की शुद्ध आमदनी की है।

 ग्रामीण अंचलों में मत्स्य पालन से आजीविका एवं आत्मनिर्भरता के खुल रहे नए अवसर

श्री मदन राम ने बताया कि पहले मैंने एक बार मछली का बीज डाला था, अब तालाब में मछलियाँ खुद ही बीज तैयार कर रही हैं। इससे मछली पालन की लागत भी कम हो गई है और मुनाफा और बढ़ गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बताया कि खेती के मुकाबले मछली पालन में अधिक मुनाफा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने हमें आत्मनिर्भर बनने का सुनहरा अवसर दिया है।

मत्स्य पालन स्व-रोजगार के साथ नुकसान की भरपाई बीमा से 

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना- मत्स्य पालन क्षेत्र में नीली क्रांति लाने के लिए शुरू की गई एक योजना है, जिसका उद्देश्य उत्पादन बढ़ाना, निर्यात को दोगुना करना और रोजगार पैदा करना है। यह योजना मछुआरों और मछली पालकों को बुनियादी ढांचे, उपकरणों और वित्तीय सहायता के माध्यम से मदद करती है, जिसमें आकस्मिक मृत्यु, विकलांगता या अस्पताल में भर्ती होने पर बीमा कवरेज भी शामिल है। मछली पालन को एक व्यवसाय के रूप में शुरू करने के लिए ऋण पर सब्सिडी प्रदान करना है।

 ग्रामीण अंचलों में मत्स्य पालन से आजीविका एवं आत्मनिर्भरता के खुल रहे नए अवसर

शासन की यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में कृषकों, युवाओं और स्व-सहायता समूहों के लिए नई संभावनाएँ खोल रही है। बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन कर अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में किसान सार्थक योगदान दे रहे हैं।

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