इंदौर
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने सितंबर में हुई जांच रिपोर्ट के आधार पर देश में 112 दवाओं को अमानक घोषित किया है। ताजा सूची में अमानक पाई गई दवाओं के सैंपल में छह प्रदेश की अलग-अलग दवा कंपनियों में बनी दवाएं शामिल हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक यह है कि छत्तीसगढ़ में एक कफ सिरप जांच में नकली (जाली) पाया गया है। आशंका जताई गई है कि इस दवा के सेवन से छिंदवाड़ा जैसा हादसा हो सकता था।
सीडीएससीओ अभी तक इन दवाओं की सूची सार्वजनिक करने से बच रहा है। दिल्ली में संगठन ने पुष्टि की कि सितंबर की रिपोर्ट में 112 दवाएं टेस्ट में फेल हुई हैं। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी दवाओं और निर्माताओं के नाम अपने पोर्टल पर जारी नहीं किए गए। संगठन ने सिर्फ इतना बताया कि इनमें से 52 दवाओं की जांच केंद्रीय लैब में हुई जबकि 60 दवाएं विभिन्न राज्यों की लैब में फेल पाई गईं।
प्रदेश में बनी ये छह दवाएं अमानक
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सितंबर की जांच में फेल हुई 112 दवाओं की सूची में मध्यप्रदेश की 6 दवाएं भी शामिल हैं
केलेक्सिया (डाइक्लोमाइन-हाइड्रोक्लोराइट टैबलेट) – क्वैस्ट लैबोरेटरीज, पीथमपुर
मेटरोनिडाजोल टैबलेट – बायोकैम हेल्थकेयर, उज्जैन
डायइथाइल कार्बामाजिन साइट्रेट टैबलेट – बायोकैम हेल्थकेयर, उज्जैन
जिंक सल्फेट टैबलेट – एमसी हेल्थकेयर, इंदौर
फेरस सल्फेट एंड फोलिक एसिड – जेनिथ ड्रग लिमिटेड, इंदौर
पैरासिटामोल टैबलेट – क्यूरेजा हेल्थकेयर, ग्वालियर
नकली कफ सिरप से बड़ा खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक, मप्र की छह दवाओं को नॉट स्टैंडर्ड क्वालिटी (NSQ) घोषित किया गया है। ये इंडियन फार्माकोपिया मानकों पर लैब टेस्ट में खरे नहीं उतरीं, हालांकि स्वास्थ्य को गंभीर खतरा इनमें से नहीं था। लेकिन रायपुर लैब की जांच में बेस्टो काफ नामक कफ सिरप को स्प्यूरियस (जाली/नकली) घोषित किया गया। जिस कंपनी के नाम पर यह दवा रजिस्टर्ड है, उसने उस बैच को बनाने से इनकार किया है। इससे आशंका है कि यह किसी अवैध फैक्ट्री में तैयार कर आपूर्ति की गई। इस तरह की दवा का सेवन गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता था। जांच जारी है।
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