भोपाल
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को वर्ष 2026 में किये जाने वाले व्यापक पौध-रोपण अभियान की तैयारी और इससे जुड़ी कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिये हैं। इस संबंध में आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास ने निकायों से कार्य-योजना दिसम्बर-2025 तक पूर्ण करने के लिये भी कहा है। प्रदेश में वर्ष 2025 में प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में नगरीय निकायों द्वारा करीब 36 लाख पौधों का रोपण किया गया है। निकायों को लगाये गये पौधों की सुरक्षा में सजगता बरतने को भी कहा गया है।
नगरीय प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया है कि नगरीय निकाय अपने क्षेत्रों में हितधारकों की बैठक और कार्यशाला आयोजित कर वर्ष 2026 के पौध-रोपण लक्ष्यों का पहले आकलन करें और उसके अनुसार रणनीति बनायें। निकायों को यह भी सुनिश्चित करने के लिये कहा गया है कि कुल लक्ष्य में से शेष पौध-रोपण का कार्य निकायों द्वारा अपने संसाधनों से करना होगा। निकाय सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, वाटर ट्रीटमेंट प्लान, ओवरहेड टैंक के आसपास की भूमि, सड़कों के दोनों ओर, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल एवं शासकीय परिसरों की बाउण्ड्रीयुक्त भूमि, नदियों, नालों, तालाबों, डैम एवं नहरों के किनारों के साथ मुक्तिधाम और खेल मैदानों के आसपास का क्षेत्र चिन्हित करने के लिये कहा गया है। शहरी क्षेत्र में पौधों की उपलब्धता के लिये उद्यानिकी एवं वन विभाग की नजदीकी नर्सरियों से अभी से सम्पर्क किया जाये। पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और पौधों के क्रय के लिये बजट के इंतजाम का प्रस्ताव जल्द तैयार किया जाये।
नगरीय क्षेत्र में अधिकतम हरियाली बढ़ाने के लिये जामुन, अर्जुन, देशी बबूल, बड़े वृक्षों जैसे पीपल, बरगद, आम, महुआ, इमली आदि प्रजातियों के पौधे को प्राथमिकता दी जाये। बीज छिड़काव के लिये उत्तम व्यवस्था की जाये। संचालनालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि वर्ष 2026 के पौध-रोपण कार्य की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नवम्बर माह से ही साप्ताहिक समीक्षा की जायेगी। निर्देश में यह भी कहा गया है कि शहरी क्षेत्र के कुछ भवनों में बाउण्ड्री-वॉल नहीं होती है, वहाँ मेहंदी की बाउण्ड्री-वॉल सुरक्षा के हिसाब से लगाने के प्रस्ताव भी तैयार किये जायें। इससे परिसर में सुरक्षा के साथ हरियाली का भी विस्तार होगा।
जल संरक्षण को बढ़ावा देना
नगरीय निकायों से कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2026 के पौध-रोपण के साथ जल संरक्षण से संबंधित प्रस्ताव भी तैयार किये जायें। इन दोनों उपायों से शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण के साथ पर्यावरण सुधार में बेहतर कार्य हो सकेगा।
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